ईरान-इजरायल: दोस्त से दुश्मन बनने की खौफनाक कहानी और अब तबाही की जंग

 

ईरान-इजरायल: दोस्त से दुश्मन बनने की खौफनाक कहानी और अब तबाही की जंग
ईरान इजरायल युद्ध 2025

ईरान-इजरायल: दोस्त से दुश्मन बनने की खौफनाक कहानी

और अब तबाही की जंग

ईरान-इजरायल बीते कई समय से एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बने हुए हैंदोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव किसी से छिपा नहीं हैजहाँ इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को ख़त्म करने की कसम खा राखी है तो वहीँ ईरान के नेता खामेनेई ने भी दोगुनी तेज़ी से मुंहतोड़ जवाब देने का रुख पकड़ा हैईरान-इजरायल के युद्ध में अमेरिका और रूस के हस्तक्षेप पर दुनिया भर की नज़रें टिकीं हैं क्यों कि इससे युद्ध में अहम् मोड़  जायेगालेकिन इस सबके बीच क्या आप ये जानते हैं कि इजरायल और ईरान एक दूसरे के कट्टर दुश्मन क्यों बन बैठे हैं और उससे भी ज्यादा हैरानी की बात जानते हैं हैं क्या है... वो ये है कि एक दौर था जब ये दोनों देश एक दूसरे के सच्चे समर्थक थेलाइक बेस्ट फ्रेंड्स... लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि दोस्तों के बीच जंग छिड़  गयी....

 कब शुरू हुआ हमला?

13 जून की सुबह ईरान के लिए क़यामत लेकर आयीपूरे ईरान पर इजरायली सेना ने हवाई हमला शुरू कर दियाअपने इस हमले में इजरायल ने ईरान के सभी सैन्य ठिकानों और परमाणु केंद्रों को निशाने पर लियाइजरायली सेना के इस घातक हमले में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कई टॉप अधिकारी मारे गएईरान के कई परमाणु वैज्ञानिक इस हमले की भेंट चढ़ गएतेहरान की तरफ से जारी बयान में इस हमले की पुष्टि हुई और ईरान की तरफ से दावा किया गया कि इजरायली सेना ने तेहरान के रिहायशी इलाकों को टारगेट किया है जिसमें कई नागरिकों की मौत हो गयी है.

आपको बता दें कि इजरायल ने ये हमला तब किया जब ईरान की अमेरिका के साथ परमाणु डील को लेकर चर्चा चल रही थीपरमाणु हथियार रखने के मामले में ईरान का कहना है कि वो इसे अपनी देश की सुरक्षा के लिए चाहते हैं लेकिन वहीँ दूसरी तरफ इजरायल इसे अपने अस्तित्व के लिए 'खतरामानता है.

ईरान ने किया घातक पलटवार

इजरायल के हमले का जवाब ईरान ने भी भी दोगुनी ताकत से दियाईरान ने इजरायली सैन्य ठिकानों पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला बोलाईरान की कुछ मिसाइलें तो इजरायल के फेमस 'आयरन डोमएयर डिफेंस को भी पार कर गयींईरान के हमले से इजरायल की राजधानी तेल अवीव में भारी नुकसान हुआतेल अवीव में बने इजरायली रक्षा बालों के मुख्यालय भी ईरान के हमले में टारगेट किये गए.

पीएम नेतन्याहू की दो टूक

बीते 13 जून से दोनों के बीच हवाई हमलों का दौर जारी हैइन हमलों में इजरायल के तेल अवीव और हाइफा को काफी निक्सन झेलना पड़ा हैवहीँ इजरायल के हमलों के तेहरान भी सिहर उठा हैलगातार जारी इस जंग में युद्धविराम के कोई संकेत नज़र नहीं  रहे हैंबीते दिनों ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने भी युद्ध की आधिकारिक घोषणा कर दी थीयुद्ध को लेकर इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कथित तौर पर कहा है कि, "युद्ध केवल ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की मौत के साथ समाप्त हो सकता है."

जब ईरान-इजरायल थे 'जिगरी यार'

सन 1948 में इजरायल का गठन हुआ थानए नए बने इस देश को उस समय के कई मुस्लिम-बहुल देशों ने मान्यता देने से मना कर दिया थाउन दिनों ईरान और तुर्की शिया-बहुसंख्यक के रूप में वर्ल्ड मैप में मौजूद थेजो कि एक तरह से अपवाद थेअमेरिका के बीच में पड़ने के बाद मतलब कि इजरायल के अमेरिका के कनेक्ट होने पर इन इस्लामिक देशों ने इजरायल के संप्रभु राज्य को मान्यता दे दी थी...और इस तरह शुरू हुआ ईरान-इजरायल का याराना

उन दिनों ईरान की बागडोर शाह मोहम्मद रजा पहलवी के हाथों में थीशीत युद्ध के दौरान ईरान ने अमेरिका का साथ देकर खुद को एक सच्चा मैं सहयोगी साबित कर दिया थाजिसके बाद ईरान के रिश्ते अमेरिका के साथ अच्छे हुएउधर इजरायल क्योंकि नया नया देश बना थाइसलिए उसे भी अमेरिका की जरूरत थीऔर इस तरह तीनों देशों की आपसी निर्भरता ने इस दोस्ती की नींव रखी.

उन दिनों प्रधान मंत्री डेविड बेन गुरियन इजरायल को संभाल रहे थेपरिधि सिद्धांत का पालन करते हुए  उन्होंने गैर-अरब देशों के साथ सहयोग करने का एक प्रयास कियाइस प्रयास में में उन्हें ईरानतुर्की और इथियोपिया का पूरा सपोर्ट मिला.

मैदान--जंग में उतरे 'यार'

इजरायल अच्छे नेतृत्व के साथ आगे बढ़ा और कई क्षेत्रों में विकास कियाजब अरब देशों के साथ युद्ध में इजरायल का बहिष्कार हुआ तब भी ईरान ने इजरायल का साथ दिया और उसे कच्चा तेल मुहैया कराया.

धीरे-धीरे समय बदला और बदली सत्ता... 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति का आगाज़ हुआइस क्रांति ने ईरान-इजरायल के संबंधों को पूरी तरह बदल दियाईरान में शाह की जगह अयातुल्ला रुहोल्लाह खामेनेई ने ले ली और इस तरह स्थापित हुआ इस्लामी गणराज्य...

ईरान-इजरायल की दोस्ती के दिनों में भी ईरान में कुछ इस्लामिक तत्त्व थे जो फिलिस्तीन का सहयोग करते थे. 1979 के बाद ईरान-इजरायल के बीच अचानक बहुत कुछ बदल गयाईरान की तरफ से इजरायली पासपोर्ट प्रतिबन्ध से लेकर ईरानी पासपोर्ट होल्डर्स को "कब्जे वाले फिलिस्तीनकी यात्रा पर प्रतिबंध तकधीरे धीरे दोनों देशों में तनाव बढ़ने लगाहद तो तब हुई जब ईरान ने इजरायल को 'इस्लाम का दुश्मनऔर 'छोटा शैतानघोषित कर दिया.

1980 और 90 के दशक में ईरान सशस्त्र समूहों के स्पॉन्सर के रूप में उभरा और इस तरह जन्मे कुछ आतंकी संगठनलेबनान में हिजबुल्लाहयमन में हूती और गाजा में हमासइन समूहों के लिए ईरान की तरफ से हर संभव मदद की जा रही थी और उन्हें इजरायल पर हमले के लिए हथियार देने के साथ ही युद्ध की ट्रेनिंग भी दी जा रही थी.

उसके बाद से ही दोनों देशों के तनाव ने विकराल रूप लेना शुरू कर दिया और नतीजा ये निकला है कि कभी एक दूसरे के पक्के दोस्त रहे ये देश आज एक दूसरे का अस्तित्व मिटाने पर तुले हुए हैंईरान-इजरायल के बीच चल रहे तनाव का ऐसा असर है कि दुनिया भर में क्रूड आयल की बी हारी किल्लत आने वाले समय में देखी जा सकती हैहर तरफ से ईरान-इजरायल के बीच शांति वार्ता की कोशिशें जारी हैंलेकिन क्या वार्ता से ये मसला हल हो पायेगा... ये बड़ा सवाल है

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