
Panchayat Season 4: फुलेरा की पंचायत में फिर लौटी असली गाँव की खुशबू, जानिए सीजन 4 का पूरा हाल
Panchayat Season 4 एक बार फिर दर्शकों को फुलेरा की सादगी, राजनीति और मानवीय रिश्तों की गहराई में ले जाता है। जितेंद्र कुमार, जो कि अभिषेक त्रिपाठी के किरदार में हैं, इस बार भी अपने सरल अभिनय से दिल जीत लेते हैं।
कहानी की बात करें तो, सीजन 4 वहीं से शुरू होता है जहाँ तीसरा सीजन खत्म हुआ था—फुलेरा की राजनीति में उथल-पुथल के साथ। प्रधानी की कुर्सी के इर्द-गिर्द सारा खेल घूमता है, जिसमें अब नए चेहरे भी शामिल होते हैं और पुरानों की सोच में बदलाव भी दिखाई देता है।
विकास (चंदन रॉय), प्रह्लाद (फैसल मलिक) और मनोज (रघुवीर यादव) इस बार पहले से और ज्यादा प्रभावी भूमिका निभाते हैं। इनका संवाद और आपसी तालमेल सीरीज में कई बार हँसी और कभी-कभी आंसू ले आता है।
शिक्षा, बेरोजगारी, पंचायत की राजनीति, इमोशनल रिश्ते, सरकारी तंत्र और छोटे गाँवों की बड़ी सोच जैसे विषय इस बार फिर से कहानी में गहराई से जुड़े हुए हैं।
इस बार प्रधानी की कुर्सी के लिए राजनीतिक चालें, अभिषेक और रिंकी के बीच का इमोशनल कनेक्शन, और जनता की भागीदारी—ये सभी चीजें कहानी को मजबूत बनाती हैं।
निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि साधारण सी कहानी को भी दिल से कहने पर वो असाधारण बन जाती है। इस बार बैकग्राउंड म्यूज़िक और कैमरा वर्क भी काबिल-ए-तारीफ है।
Panchayat 4 की सबसे खास बात ये है कि यह आपको ठहाके भी देता है, और सोचने पर भी मजबूर करता है। हर किरदार पूरी ईमानदारी से लिखा गया है और किसी को भी सिर्फ 'भरने' के लिए कहानी में नहीं डाला गया।
सीजन 4 का अंत एक बार फिर सस्पेंस और उम्मीद के साथ होता है। अब दर्शकों को अगले सीजन का इंतजार रहेगा कि फुलेरा की पंचायत में आगे क्या होगा।
क्या देखें या छोड़ें?
अगर आपने पहले के तीन सीजन देखे हैं, तो ये सीजन मिस मत कीजिए। और अगर अब तक नहीं देखा, तो पहले सीजन से शुरू कीजिए—क्योंकि ये सीरीज केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि भारत के गाँवों की सच्ची तस्वीर है।